दो लाख शिक्षकों को सीएम देंगे वरिष्ठता बहाली की सौगात
राज्य में करीब दो लाख उन शिक्षकों की निराशा आशा में बदली है जिनकी विभाग ने अपने रिकॉर्ड में नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता विलोपित की है। दिसंबर में मप्र के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव इन्हें यह सौगात देंगे। सरकार समर्थित मप्र शिक्षक संघ को सीएम ने यह सहमति प्रदान की है।
ज्ञात हो कि साल 1998 से प्रदेश सरकार ने स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्था संभालने के लिए शिक्षाकर्मी कल्चर शुरू किया था। निकायों के माध्यम से इनकी भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। वर्ष 2003 से जब शिवराज सरकार आई तो इस कल्चर का नाम बदलते हुए संविदा
शिक्षक कैडर किया गया था। शिवराज ने नियम बनाया था कि 3 साल की सेवा अवधि पूर्ण करने वाले साँवदा शिक्षकों को अध्यापक संवर्ग में शामिल किया जाएगा। इसी सेवाकाल के दौरान इन अध्यापकों द्वारा पुराने कैडर के नियमित शिक्षकों की तरह सुविधाओं की मांग की थी। तब शिवराज सरकार ने साल 2018 में इनका निकायों से शिक्षा विभाग में संविलियम कर दिया था। अब दिक्कत यह हुई कि अधिकारियों ने संविलियन शुरू किया लेकिन पोर्टल पर जिस दिनांक से नियुक्ति हुई उसको विलुप्त कर दिया। इनकी नियुक्ति को विभाग ने 2018 में संविलियन दिनांक से माना है। यही नई व्यवस्था अध्यापकों और परिवारों के लिए बड़ी झटका है। इनका तर्क है कि जब उनकी नियुक्ति साल 1998 से 2013 तक हुई तो इतना बड़ा सेवाकाल दस्तावेजों में क्यों गायच किया गया। शिक्षकों ने इस दौरान अनेक आंदोलन किये। मंत्री विधायकों तक के माध्यम से सरकार तक समस्या पहुंचाई लेकिन कोई न्याय नहीं मिला। हाल ही में सरकार समर्थित मध्य प्रदेश शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। इस दौरान चतुर्थ समयमान और वरिष्ठता बहाली के प्रमुख मुद्दे रखे गए थे। शिक्षक दिवस पर चतुर्थ समयमान की घोषणा हो गई है। अब मुख्यमंत्री ने इस संगठन को भरोसा दिया है कि दिसंबर में उनका राजधानी में जो सम्मेलन होना जा रहा है। सरकार उसमें निश्चित तौर पर जितने अध्यापकों का संविलियन हुआ है, उसमें उनकी नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता प्रदान करने की घोषणा की जाएगी।
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