बता दें कि 29 जुलाई 2011 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने स्पष्ट किया था कि देशभर में शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए टेट पास करना अनिवार्य होगा. इसके बाद से ही टेट शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता का मानक बन गया.
पीठ ने अपने आदेश में 2014 के उस निर्णय पर भी सवाल उठाया है, जिसमें कहा गया था कि अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों को टेट पास करने से छूट दी जा सकती है. कोर्ट ने माना कि यह निर्णय अनुच्छेद 30 के प्रावधानों के विपरीत हो सकता है. इसलिए वृहद पीठ इस पर विचार करेगी कि क्या अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों पर भी टेट की शर्त लागू होनी चाहिए या नहीं.
इस आदेश से साफ है कि अब सामान्य स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए टेट पास करना हर हाल में आवश्यक होगा. वहीं, अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को फिलहाल राहत मिली है, लेकिन भविष्य में वृहद पीठ का फैसला उनकी स्थिति को बदल सकता है.
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